शिक्षक बनने की ओर मेरा पहला कदम
मेरा नाम सचिन शर्मा है। मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से गाँव, भायंगी में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। हमारा परिवार खेती पर निर्भर था। मेरे पिताजी, चाचाजी और दादाजी सभी खेती करते थे। जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन हमारे परिवार में ईमानदारी और मेहनत की गहरी नींव थी, जिसने मुझे जीवन के हर कदम पर प्रेरित किया।
मेरी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में हुई थी। उस समय स्कूल में केवल एक ही शिक्षक थे, श्री नाहर सिंह जी। वे न केवल मेरे शिक्षक थे, बल्कि मेरे पहले गुरु भी थे, जिन्होंने मेरे जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षा और अनुशासन ने मुझ पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उन्होंने हमें न सिर्फ किताबों का ज्ञान दिया, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य भी सिखाए, जिनका अनुसरण मैं आज भी करता हूँ। मैं आज जो कुछ भी हूँ, उसमें उनका योगदान अविस्मरणीय है।
जब मैं तीसरी कक्षा में था, तब श्री नाहर सिंह जी ने मेरे भीतर की क्षमता को पहचाना। चूंकि वे स्कूल में अकेले शिक्षक थे और कक्षा 1 से 5 तक सभी कक्षाएँ उन्हीं को पढ़ानी होती थीं, इसलिए अक्सर वे छोटी कक्षाओं को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी मुझे सौंप देते थे। उस समय मैं कक्षा 3 में था, और यह मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उनके मार्गदर्शन में मैंने पढ़ाने की कला सीखी। यह अनुभव मेरे लिए विशेष था, क्योंकि यहीं से मेरे अंदर पढ़ाने की रुचि और जिम्मेदारी का बीज बोया गया।
आज मैं एक प्रतिष्ठित शिक्षक हूँ, और इस यात्रा की शुरुआत मेरे गाँव के उसी छोटे से स्कूल में हुई थी, जहाँ मेरे गुरु श्री नाहर सिंह जी ने मुझे न केवल शिक्षा का महत्व सिखाया, बल्कि मुझे एक शिक्षक बनने की दिशा में भी प्रेरित किया। उनके सिखाए गए पाठ और उनका विश्वास मेरे जीवन का आधार बन गए।
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